तेरी यादों का सूरज उग रहा है

अँधेरा है पर अच्छा लग रहा है तेरी यादों का सूरज उग रहा है   तुम्हारे साथ थे सतयुग के सपने तुम्हारे बिन सदा कलयुग रहा है   चिराग़ों की बुझी पलकों में झाँको उजाला अब भी शायद जग रहा है   इन ऑंखों की चमकती सीपियों में तुम्हारे नाम का ही नग रहा है … Continue reading तेरी यादों का सूरज उग रहा है